सुगौली कांड: 4 मिड-डे मील कर्मियों की मौत महज हादसा नहीं

बिहार के पूर्वी चंपारण के सुगौली स्थित भाजपा नेता रामगोपाल खण्डेवाल के गोदाम में ‘नवप्रयास’ नामक एनजीओ द्वारा मिड-डे मील योजना के तहत भोजन बनवाते हुए 16 नवंबर को घटित भीषण बॉयलर विस्फोट की घटना में 4 मिड-डे मील कर्मियों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.


इस घटना के खिलाफ 19 नवंबर को बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू, ऐपवा और भाकपा-माले ने पटना समेत कई जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए. पटना में मध्यान्ह भोजन योजना समिति के कार्यालय के समक्ष जुझारू प्रदर्शन किया गया और उसके निदेशक को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया. मांगपत्र में सुगौली कांड के दोषियों को अविलंब गिरफ्तार करने, घटना की न्यायिक जांच कराने, नवप्रयास एनजीओ को स्थाई रूप से प्रतिबंधित करने, मृतक मजदूरों के परिजनों को 10-10 लाख रु. मुआवजा देने, हर एक परिवार से एक सदस्य को नौकरी देने, घायल मजदूरों का इलाज मुफ्त कराने एवं उनके परिवार को पांच लाख रुपया मुआवजा देने, मध्यान्ह भोजन योजना से एनजीओ को बाहर करने, केंद्रीकृत किचन व्यवस्था को खारिज कर विद्यालय आधारित किचन प्रणाली को मजबूत बनाने, आदि मांगें शामिल थीं. कार्यक्रम का नेतृत्व रसोइया संघ की महासचिव सरोज चौबे, ऐक्टू के बिहार राज्य महासचिव आर एन ठाकुर, ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की राज्य सचिव सोना देवी, आदि ने किया.


प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘‘सुगौली कांड के जिम्मेवार मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री चुप्पी तोड़ो, जवाब दो’’ के नारे बुलंद किये.


मध्यान्ह भोजन योजना समिति के कार्यालय के सामने आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि 2016 में जब दिल्ली स्थित 13 एनजीओ को बिहार के 26 जिलों को सौंप दिया गया था तब से बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ इसका लगातार विरोध करता रहा है और 40 दिन की हड़ताल में एनजीओ को बिहार से बाहर करने की मांग प्रमुखता से उठाई गई थी. सुगौली में नव प्रयास एनजीओ का उद्घाटन वहां के शिक्षा पदाधिकारी व बीडीओ ने 16 अक्टूबर 2019 को किया. एनजीओ के संचालक नरेंद्र सिंह ने ना तो अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया था और न ही सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा था. वहां अकुशल मजदूरों के जरिए काम करवाया जाता था. बॉयलर में कोयला के जरिए स्टीम बनाया जाता था और स्टीम को कम या ज्यादा करने का कोई सिस्टम मौजूद नहीं था. इसीलिए यह न सिर्फ सरकार की घोर संवेदनहीनता का परिचायक है, अपितु उसके मजदूर-विरोधी एवं रसोईया-विरोधी रवैये को भी दिखलाता है. बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ तब तक अपना आंदोलन जारी रखेगा, जब तक इस कांड के दोषियों को सजा नहीं दी जाती है और एनजीओ को बिहार की मध्यान्ह भोजन योजना से बाहर नहीं किया जाता है.


पटना के अलावा मोतिहारी, अरवल, कटिहार, जहानाबाद, आरा आदि केंद्रों पर भी प्रदर्शन आयोजित किए गए. अरवल में मार्च निकला और एनएच-83 व एनएच-110 होते हुए प्रखंड परिसर में सभा में तबदील हो गया. इसका नेतृत्व ऐपवा नेता लीला वर्मा, चंद्रप्रभा, कुंती देवी आदि ने किया. कटिहार में प्रदर्शन का नेतृत्व रसोइया संघ की नेता जूही महबूबा ने किया. भोजपुर में इस जघन्य कांड के खिलाफ ऐपवा व रसोइया संघ ने प्रतिवाद मार्च निकाला और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका.


 



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