पश्चिम बंगाल में मजदूरों का लॉंग मार्च

सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों के निजीकरण एवं विनिवेश, गुलामी के चार श्रम कोड, मंदी, छंटनी, बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई, विभाजनकारी एनआरसी-सीएबी़, आदि रूपों में मोदी सरकार के हमलों के खिलाफ, 21,000रू. न्यूनतम मासिक मजदूरी, आदि मांगों को उठाने और इन तमाम सवालों पर आयोजित 8 जनवरी 2020 की देशव्यापी आम हड़ताल को जोरदार ढंग से सफल बनाने के लिये केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (बीएमएस और एआईयूटीयूसी को छोड़कर) के आह्वान पर प. बंगाल में मजदूरों समेत आम अवाम की भागीदारी के साथ ‘लॉंग मार्च’ (500 कि.मी.) का आयोजन हुआ है. एक मार्च यानी जुलूस चित्तरंजन (यहां रेल का लोकोमोटिव कारखाना स्थित है जिसका सरकार भारतीय रेल की बाकी उत्पादन इकाइयों की तरह 100 दिनों के अपने ऐक्शन प्लान के तहत निजीकरण करने में तुली हुई है) से 30 नवंबर को शुरू हुआ जो 11 दिसंबर को कोलकाता पहुंचेगा. इसी तरह दूसरी मार्च उत्तरी बंगाल में (दार्जिलिंग की पहाड़ियों को छोड़कर) मालदा से सिलीगुड़ी तक निकाला जा रहा है जो 10 दिसंबर को सिलीगुड़ी की बाघा जतिन पार्क में समाप्त होगा. ये दोनों मार्च जारी हैं.


चित्तरंजन से मार्च की शुरूआत करते हुए ऐक्टू के राज्य महासचिव बासुदेब बोस समेत सीटू, एटक, यूटीयूसी, आदि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने मजदूरों को संबोधित किया. यह मार्च रानीगंज, दुर्गापुर, बर्धमान, हुगली और हावड़ा होते हुए कोलकाता पहुंचेगी.   


 


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